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Showing posts from November, 2021

BE ENERGETIC@BhagwatKripa

१.हम किसी चीज को उपयोग करके उसे दूसरे के उपयोग के लिए छोड़तें है वह चीज जूठी कहलाती है।क्योंकि उसमें हम अपना बैक्टेरिया,भाईरस समाहित कर देतें हैं।इसलिये हमें आचमनस्नानशुद्धिपरांत तैयार सामग्री ही भगवान को भोग लगाना चाहिए।क्योंकिभगवान भोगोत्पन्न  प्रसाद जब और ग्रहण करें तो उसमें समाहित होकर हमारा बैक्टेरिया भाईरस और न ग्रहण करें।तत: वे स्वस्थ बने रहें।SocialDisease Prevention की ये कर्म सनातनी स्वस्थपरंपराओं का भाग ही है।@ कोई शक??? इसिलिए नहा-धोकर ही स्त्री या किसीको भी पाठशाला में प्रवेश करनाचाहिए। २.भगवान को चढ़ाने वाली भोग की सुगंध नाशिका में चले जाने से भोग लगाने वाली वस्तु जूठी नहीं होती है। वस्तुत: भगवान तोकण कण में विद्यमान हैं आकाश रुप में।इसिलिए तो कहतें हैं " तेरा तुझको अर्पण ,क्या लागे मेरा""प्रभु आपकी कृपा से मेरा हर काम हो रहा है"। ३  इस तरह हमारा शरिर व कर्म भी भगवत्कृपा ही है। हमारा सोच व जीवन भी भगवत्कृपा है।

BE ENERGETIC@ by developing capacity for becoming similar to photon particle or space to see the God

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Be Energetic@ शुभ धनतेरस

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BE ENERGETIC@ Produce Healthy Offsprings

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